UPSC की परीक्षा पास करने के लिए किसी को भी इस विशाल पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए अपना बहुत अधिक समय देना पड़ता है और मेहनत भी करनी पड़ती है। हर एक विषय के सिलेबस के थोड़े से हिस्‍से को पूरा करने में ही महीनों बीत जाते हैं। प्राय: ऐसा होता है कि इस तैयारी में शामिल कारणों की वजह से लोगों के हौसले पस्‍त हो जाते हैं। कई बार प्रयास और दोहराना एक कठिन काम हो सकता है जिसके दौरान हो सकता है कि कोई उम्‍मीदवार रूचि खो दे और कैरियर के दूसरे रास्‍ते का चुनाव कर ले। UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए अपने जीवन के कई महत्‍वपूर्ण साल खोना के कारण उम्‍मीदवार को जीवन में आगे कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। केवल UPSC की तैयारी करते समय तक ही संघर्ष नहीं होता है बल्कि अगर उम्‍मीदवार को मनचाहा परिणाम नहीं मिलता है तो यह संघर्ष उसके आगे भी चलता रहता है।

एक प्रशासनिक कर्मचारी बनाने और देश के सर्वोच्‍च प्रशासनिक सेवाओं में कार्य करने के इच्‍छुक उम्‍मीदवार द्वारा सामना किए गए समस्‍याओं को समझना बहुत महत्‍वपूर्ण है। चलिए देखते हैं कि UPSC की तैयारी के दौरान आम चुनौतियां क्‍या हैं और कोई उम्‍मीदवार इनके बारे में क्‍या कर सकता है:

1. शुरुआत कैसे करें

किसी भी व्‍यक्ति के लिए UPSC की परीक्षा में शामिल विभिन्‍न विषयों के पैटर्न और अंकन योजना (मार्किंग स्‍कीम) को समझना आसान नहीं है। कोई भी इन विभिन्‍न विषयों और टॉपिकों के बीच उलझ सकता है। इस परीक्षा में शामिल इतने सारे विषयों की साथ-साथ तैयारी करना कोई बच्‍चों का खेल नहीं है। कहां और कैसे का प्रश्‍न लंबे समय तक अधिकतर उम्‍मीदवारों को परेशान करता रहता है जब तक कि वे सही जवाब न ढूंढ लें।
तो चलिए, हमारे पास सही सही रिसोर्स या संसाधन है जहां से आप शुरूआत कर सकते हैं: UPSC रिसोर्सेज

2. प्रश्‍नपत्रों की संख्‍या जिन्हें पास करना होता है

UPSC परीक्षा को दो चरणों में बांटा गया है – प्रीलिम्‍स और मेन्‍स। इन चरणों में अलग-अलग विषयों के अलग-अलग क्‍वालिफाइंग एवं कट-ऑफ आधारित परीक्षा होते हैं। सीमित समय अवधि में सभी विषयों की अच्‍छी तरीके से तैयारी और सभी परीक्षाओं को पास करना केवल तभी संभव है जब बहुत अधिक समर्पण और कठिन मेहनत की जाए। तैयारी करने के लिए, पहले आपको यह पता होना चाहिए कि संग्रह में क्‍या है; और इसमें आपकी सहायता के लिए हमने एक ही जगह पर आपके लिए पूरी UPSC परीक्षा पैटर्न की सूची तैयार की है - UPSC परीक्षा प्रारूप.

3. विशाल सिलेबस

बहुत सारे ऑनलाइन और ऑफलाइन कोचिंग संस्‍थानों/प्‍लेटफॉर्म की सलाहों की वजह से कोई भी इस सिलेबस से घबरा सकता है। उम्‍मीदवार को एक नौकरी पाने के लिए पूरे UPSC परीक्षा के सिलेबस का पूरी तरह से तैयारी करना पड़ता है। यदि एक बटन क्लिक करते ही ये सभी चीजें आपके पास आ जाएं तो आप अच्‍छी तरह से तैयारी कर सकते हैं। आपको जब भी कोई संदेह हो या जब भी आप अपने पढ़ने की समय का योजना बना रहे हों तो इनकी सहायता ले सकते हैं: UPSC प्रीलिम्स सिलेबस.

4. छोटे यूनिट मॉक टेस्‍ट का उपलब्‍ध न होना

टॉपिक और विषयों के अनुसार बहुत ही कम मॉक टेस्‍ट उपलब्‍ध हैं। उम्‍मीदवार की विषय पर कितनी पकड़ है इस पर अपनी ताकत और कमजोरियों का विश्‍लेषण किए बिना ही उम्‍मीदवार सिलेबस को कवर करता है। प्रैक्टिस टेस्‍ट के छोटे यूनिट उम्‍मीदवार के ज्ञान को बढ़ाने में मदद करते हैं, लेकिन ये मुश्किल से ही उपलब्‍ध हैं। SprintUPSC के साथ आप ये सब और इससे कहीं अधिक कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए केवल हमारे होमपेज पर जाएं।

5. समर्पित समय

अधिकतर उम्मीदवारों के लिए, पहले प्रयास में परीक्षा को पास करना एक मुश्किल काम होता है। ये उन परीक्षाओं में से नहीं है जिसे अनमने ढंग से किए गए प्रयास या बिना ध्‍यान लगाए पास किया जा सकता है। फुल टाइम प्रोफेशनल करियर या कॉलेज में पढ़ाई करते समय ही उम्‍मीदवार UPSC परीक्षा के इतने बड़े सिलेबस को पूरा करने और परीक्षा में बैठने के लिए व्‍याकुल हो जाते हैं। जबकि, यह परीक्षा इसके ठीक विपरीत है और संयम और दृढ़ता चाहता है। हम आपको सलाह देते हैं कि आप हमारे विषय/टॉपिक वार मॉक टेस्‍टों का इस्‍तेमाल कर अच्‍छी तरह से तैयारी करें, दोहराएं और प्रैक्टिस करें और उसके बाद फुल लेंथ टेस्‍ट के लिए आगे बढ़ें। इससे अभी तक तैयार नहीं किए गए टॉपिकों के लंबे-लंबे टेस्‍टों न गुजर कर समय की बचत होगी बल्कि यह आगे बढ़ने और अधिक से अधिक टॉपिकों का अभ्‍यास करने के लिए विश्‍वास को भी बढ़ाएगा।

6. आर्थिक सहायता

कोचिंग सेंटर और उनके बड़े पैमाने पर प्रचार के चलन के कारण एक उम्‍मीदवार IAS की तैयारी के लिए कोचिंग लेने के लिए बाध्‍य हो जाता है। UPSC परीक्षा कोचिंग अनोखे होते हैं और कुछ खास शहरों में ही होते हैं। कई बार, उम्‍मीदवार को अपना घर छोड़ना पड़ता है और खास समय के लिए कोचिंग पाने के लिए बहुत अधिक खर्च करने पड़ते हैं। आमतौर पर UPSC परीक्षा की कोचिंग 6 से 12 महीने तक चलती है। हम तैयारी के लिए आसानी से उपलब्‍ध NCERT की किताबों और गोल्‍ड स्‍टैण्‍डर्ड पुस्‍तकों का उपयोग करने की सलाह देते हैं। अभ्‍यास के लिए, आप अपनी जरूरत के हिसाब से विभिन्‍न किफायती प्राइसिंग प्‍लान्‍स देख सकते हैं।

7. सेल्‍फ स्‍टडी या कोचिंग?

उम्‍मीदवार इस बात को लेकर दुविधा में हो सकते हैं कि इस परीक्षा के लिए कोचिंग लें या फिर सेल्‍फ स्‍टडी करें। हालांकि कुछ कोचिंग को चुनते हैं जबकि कुछ सेल्‍फ स्‍टडी के भरोसे रहते हैं। जबकि, सफल होने और उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की दिशा में काम करने के लिए पढ़ाई के प्रभावी तरीके को ढूंढना उम्‍मीदवार की अपनी पसंद होती है। हर एक व्‍यक्ति सीखने की गति को बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरीके से पढ़ाई करता है। इसके लिए, आपको यह पता लगाने की जरूरत है कि आपके लिए सबसे बेहतर क्‍या है। अपने पढ़ाई के समय को याद करें और देखें कि आपने कैसे और कब सबसे अच्‍डा प्रदर्शन किया। कोशिश करने और उसकी का पालन करें।

8. असफलता को संभालना

UPSC में कई प्रयास किसी भी व्‍यक्ति को बार-बार प्रयास करने के हौसले को पस्‍त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्‍त, परीक्षा केवल एक वर्ष में एक बार ही आयोजित की जाती है, इसलिए UPSC के उम्मीदवारों को अपनी किस्मत आजमाने के लिए एक और साल का इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा, उम्‍मीदवार अपने उन कमजोर पक्षों का विश्‍लेषण नहीं कर पाते हैं जिसपर उन्‍हें काम करना चाहिए और प्रयासों के बीच इतना लम्‍बा समय होने के कारण वे उन टॉपिक को भूल जाते हैं जिन्‍हें उन्‍हें कवर करने की जरूरत होती है।
उम्‍मीदवार को सकारात्‍मक पुस्‍तकें, लेख, ब्‍लॉग पढ़ते रहनी चाहिए और पॉजीटिव बने रहने की कोशिश करती रहनी चाहिए। आपकी कहानियाँ - इस भाग में उन उम्‍मीदवारों की कुछ कहानियां पढ़ें जो हम में से कोई हो सकता है और जिन्‍होंने अपने कठिन परिश्रम और मजबूत इरादे से इसको हासिल किया।

9. शेड्यूल और टाइम टेबल सेट करना

जैसा कि पहले ही हमने बताया है कि UPSC का सिलेबस कभी खत्‍म नहीं होने होता है। विभिन्‍न विषयों के 230 से अधिक टॉपिकों को कवर करने के लिए टाइम-टेबल तैयार करना काफी मुश्किल हो सकता है। केवल इन टॉपिक को कवर कर लेना पर्याप्‍त नहीं होता है क्‍योंकि किसी को भी इसे याद रखने और कॉन्‍सेप्‍ट को समझने के लिए कई बार दोहराना पड़ता है। आपके शेड्यूल में केवल पढ़ाई या तैयारी के लिए समय होना चाहिए बल्कि इसमें प्रैक्टिस टेस्‍ट के लिए भी समय होना चाहिए। बिना प्रैक्टिस के आप इस बात को लेकर आश्‍वस्‍त नहीं हो सकते कि आपने जो पढ़ा है वह पूरा है या नहीं। इसलिए खुद को लगातार जांचते रहिए। इसे भी अपने टाइम-टेबल में शामिल कीजिए। असल में आप SprintUPSC पर आप जिन टॉपिक और किताबों को कवर करने की योजना बनाए है उनके आधार पर टेस्‍ट की योजना और शेड्यूल बना सकते हैं। यह आपको लक्ष्‍यों को निर्धारित करने, समय पर उनको जांचने और सफलता पाने में मदद करेगा। एक साधारण टाइम टेबल तैयार करें और अपनी पसंद और जरूरतों के हिसाब से उसमें बदलाव करते रहें।

10. अगर यह कभी पूरा नहीं हुआ तो क्‍या?

उम्‍मीदवार के पास विफलता की भी योजना होनी चाहिए, यदि वह कई बार प्रयास के बाद भी UPSC की परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं तो सहारे के लिए एक प्‍लान बी। यह उनकी विशेषता और जिस क्षेत्र में उन्‍होंने पढ़ाई की है उसके अनुसार कोई कारोबार या नौकरी हो सकती है। बैकअप प्‍लान होना असफल होने के डर को नहीं दिखाता है बल्कि किसी भी परिणाम के लिए तैयार होने की आजादी देता है। एक बैकअप प्‍लान होना बुद्धिमानी की बात है।

11. सामाजिक दबाव

कम उम्र के दौरान, परिवार से लेकर दोस्तों तक हर कोई किसी व्यक्ति को बढ़ता और जीवन में सफल होते देखना चाहता है। उन्‍हें तैयारी करने, करियर और शादी करने एवं जीवन को व्‍यवस्थित करने के सामाजिक दबाव को संभालना पड़ता है। यह व्‍यक्ति को चिंतित, अधीर और अस्थिर बना सकता है। उम्‍मीदवार को पॉजिटिव, बने रहने के लिए अपने आवास आशावान लोगों की जरूरत पड़ती है। अपने माता-पिता या न शिक्षकों से बात करते रहें जिन पर आपको विश्‍वास है कि वे बिना पूर्वाग्रह के आपको अच्‍छी, पॉजिटिव और उपयोगी सलाह दे सकते हैं।