अत्रि की कहानी (व्यवसायिक अधिकारी)

अत्रि अपने स्कूल और कॉलेज में एक औसत छात्र था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उसे अच्‍छी तनख्‍वाह वाली कॉरर्पोरेट नौकरी मिली जिसमें पॉवरपॉइंट प्रजेंटेंशन और एक्‍सल शीट तैयार करनी होती थी। कुछ ही समय में वह रोबोट की तरह काम करने लगा; सारा काम करता लेकिन शायद ही कभी उसे इसका क्रेडिट मलता। वो अपने सीनियर को ना नहीं कह सकता था क्‍योंकि उसे अप्रेजल के समय नौकरी खोने का डर लगा रहता था, जोकि कॉर्पोरेट कर्मचारी की एकमात्र उम्‍मीद होती है। जैसे जैसे समय बीतता गया हालात से सुधार होते नहीं दिखे, अप्रेजल के बाद अप्रेजल होता गया, उसे एहसास हुआ यह वह काम नहीं था जो वह अपनी जिंदगी में करना चाहता था। कुछ रिसर्च और आसपास देखने के बाद, अत्रि यह समझ गया कि उसे अपने जीवन में क्‍या करना चाहता है। और इसके लिए, उसे UPSC परीक्षा पास करने की जरूरत थी। तो उसने अपनी नौकरी के साथ तैयारी शुरू कर दी। अपने पहले प्रयास में वह बुरी तरह असफल रहा और वह पासिंग मार्क्‍स के आसपास भी नहीं पहुंचा। अत्रि असफल होने और पहले प्रयास में चीजों को नहीं पाने का आदि हो चुकी थी इसलिए यह उसके पहले से गिरे हुए आत्‍म विश्‍वास पर कोई बड़ा धक्‍का नहीं था। उसने बताया, “हालांकि, मुझे मालूम था कि मैं अपनी नौकरी के साथ इस परीक्षा को दस प्रयास के बाद भी पास नहीं कर पाऊंगा... आप जानते ही हैं कि वे इतने अधिक मौके देते भी नहीं है, लेकिन फिर भी...”

इसके बाद उसकी दूसरी जिंदगी शुरू हुई। “आप जानते हैं, बस सभी दरवाजों को खुला छोड़ने के लिए...” अत्री ने उसके पास जो भी था उसे लगाने के लिए अपनी अच्छी-ख़ासी तनख्वाह पर अपमानजनक नौकरी छोड़ दी और इस बात को पक्‍का किया कि उसे वापस लौटने की कोई जरूरत नहीं है। उसे जो सबसे बेहतर कोचिंग सेंटर मिल सकता था उसे उसने ज्‍वाइन कर पूरी तरह से UPSC की तैयारी शुरू कर दी और उन्‍होंने जो बताया उसने वो सारी गोल्‍ड-स्‍टैंण्‍डर्ड किताबें खरीद ली। हालांकि उसको दूसरे प्रयास में भी असफलता ही हाथ लगी।

हौसला छोड़ने और उस दरवाजे पर फिर से जाने जिसे उसने छोड़ दिया था, के बारे में सोचने से पहले, अत्रि ने इस बात का विश्‍लेषण किया कि क्‍या गलती हुई। उसे लगने लगा कि उसे दोबारा नौकरी कर लेनी चाहिए लेकिन तभी वो तस्‍वीर उसके सामने आई कि उसने वहां कैसे समय बिताया है। उसने पाया कि उसेन बहुत मेहनत से पढ़ाई की, काफी कुछ सीखा लेकिन अभ्‍यास में कमी रह गई। यदि उसने पहले ही अपनी जानकारी और ज्ञान की जांच कर ली होती तो शायद वो बहुत बेहतर सकता था।

वर्तमान में जिला मजिस्‍ट्रेट अत्रि अपनी तैयारी के उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, “अच्‍छा तो उसके बाद मैं समझ गया कि मुझे क्‍या करना है। मैंने वो सारे टेस्‍ट पेपर उठा लिए जो उठा सकता था, पिछले सालों के सभी प्रश्‍नपत्र, क्‍वेंशचन बैंक ले लिए और कई सारे टेस्‍ट सीरीज से जुड़ गया– आप जिनका भी नाम ले, मैंने वो कर लिया था। मेरा अंतिम प्रयास केवल अभ्‍यास और रिविजन था। मैंने उन क्षेत्रों को ढूंढा जिसमें मैं कमजोर था और जिनमें मैं अच्‍छा था उनमें और बेहतर करने की कोशिश की। बिना इतना अधिक अभ्‍यास के मुझे नहीं लगता कि मैं अपने तीसरे प्रयास में भी इसे पार कर पाता।”